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वर्ष भर विद्यालयों में विभिन्न प्रकार की पाठ्य सहगामी क्रियाएं होती हैं, जैसे की कोई खेल स्पर्धा, किसी पर्व पर उस पर्व का महत्त्व बताते हुए उसे विद्यालय में मनाना, जैसे की रक्षाबंधन का पर्व, होली का पर्व, दिवाली का पर्व, गणेश चतुर्थी तथा ईद का पर्व। इसके साथ साथ बच्चो में देश भक्ति की भावना का सृजन करने हेतु भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की जयंती पर उनकी वीर गाथा बताते हुए तथा उनके प्रति हमारे आदर तथा सम्मान को सजीव रखने के लिए किसी सहगामी क्रिया का आयोजन करना।
सहगामी क्रियाएं विद्यार्थी जीवन में एक अहम भूमिका निभाती हैं, वे बच्चों में व्यावहारिक ज्ञान, देश और उनकी संस्कृति के लिए प्यार बढ़ाते हैं। इन गतिविधियों से छात्रों का अंतर्मुखी जीवन कम हो जाता है और उन्हें आधुनिक दुनिया की समस्या को देखने के लिए बेहतर दृष्टि मिलती है। इसके साथ साथ बच्चों में एक दूसरे के धर्म के प्रति आदर तथा एकत्व बना रहता है।
ऐसे ही एक क्रिया का आयोजन मेरे विद्यालय में मेरे प्रधानाध्यापक द्वारा कुछ दिनों पहले किया गया था। यह कार्यक्रम हमारे देश के गौरव नीरज चोपड़ा द्वारा ओलंपिक में स्वर्ण पदक हासिल करने के कुछ दिनों बाद हुआ था। इस कार्यक्रम में हमें नीरज चोपड़ा जी के कठिन जीवन, उनके परिश्रम तथा खेल के महत्व के बारे में बताया गया। इस कार्यक्रम का अंत कुछ दिलचस्प खेल के साथ हुआ। जिसमे दौड़, गोला फेंक, लंबी कूद, रस्सी खींच जैसे कई खेल शामिल थे। सभी विद्यार्थियों ने इन खेलों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और इसी तरह कार्यक्रम अपने निर्धारित समय पर समाप्त हो गया और सभी अभिभावक अपने अपने बच्चों को लेकर अपने घर की ओर रवाना हो गए।
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