मेरे प्यारे नव जलद से कंज से नेत्र वाले जाके आये न मधुवन से औ न भेजा संदेसा मैं रो-रो के प्रिय-विरह से बावली हो रही हूँ। जाके मेरी सब दुःख-कथा श्याम को त तु सुना